दो पर जीत गई सपा तो तीसरी में जमानत के पड़े लाले, शहर सीट जरूर हुई प्रभावित
बदायूं में पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव और सपा से विधायक रहे आबिद रजा के बीच चल रही जंग का फैसला भी विधानसभा चुनाव की मतगणना के बाद आ गया। फैसला भी अजीबोगरीब रहा। क्योंकि जहां एक ओर आबिद द्वारा सदर सीट के प्रत्याशी हाजी रईस अहमद के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकना सफल रहा। वहीं एक फैक्टर यह भी सामने आया कि आबिद मुस्लिम चेहरे के रूप में अपनी छवि नहीं बना सके। क्योंकि जिन चेहरों का उन्होंने प्रचार किया, वहां सपा जीत गई। इतना ही नहीं एक चेहरे को तो जमानत के लाले पड़ गए हैं।सदर विधानसभा सीट से पूर्व विधायक आबिद रजा सपा से टिकट के प्रबल दावेदार थे। इधर, पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव से उनका विवाद भी किसी से छिपा नहीं है। धर्मेंद्र ने आबिद का टिकट कटवाने के लिए अपना जोर लगाया तो सपा शीर्ष नेतृत्व को झुकना पड़ा। आजम खेमे के करीबी कहे जाने वाले आबिद का पत्ता सपा से साफ हुआ तो उनका बौखलाना लाजिमी था। नतीजतन उन्होंने यह ठान लिया कि अब वह मुस्लिम चेहरे के रूप में उभरेंगे और सपा से बगावत करेंगे। इसके लिए उन्होंने सपा के खिलाफ जिले में तीन सीटों पर मोर्चा खोला था। इन सीटों पर किया प्रचार
आबिद ने जहां सदर विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी का विरोध शुरू किया तो वहीं शेखूपुर सीट से बसपा प्रत्याशी मुस्लिम खां, सहसवान सीट से बसपा प्रत्याशी मुसर्रत अली बिट्टन समेत बिल्सी विधानसभा चुनाव से आजाद समाज पार्टी से प्रत्याशी मीर हादी अली उर्फ बाबर मियां के पक्ष में प्रचार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। इतना ही नहीं सूबे के कई मुस्लिम प्रत्याशियों के पक्ष में आबिद ने अपने स्तर से प्रचार किया। हालांकि जिले में अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए।
ये रही इन सीटों की स्थितिशहर सीट पर सपा हार गई। जबकि यहां पूर्व सांसद धर्मेंद्र की साख दांव पर लगी थी। इधर, शेखूपुर में बसपा तीसरे नंबर पर रही तो सहसवान में बसपा दूसरे पायदान पर जा टिकी। वहीं बिल्सी सीट पर मीर हादी अली को कुल 2789 वोट मिले हैं। ऐसे में इन सीटों पर आबिद की साख को भी बट्टा लगा है।
धर्मेंद्र के दावे की निकली हवा
पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव मतगणना से एक दिन पहले तक यह कहते दिखे थे कि सपा बदायूं में छह की छह सीटें जीत रही है। यह भी कहा था कि गुरुवार शाम को वह फिर से सभी से रूबरू होंगे लेकिन उनके इस दावे की हवा तब निकली, जब तीन-तीन सीटें भाजपा व सपा की झोली में जा गिरीं।
बीएल का कद भी गिरा
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बीएल वर्मा का कद भी चुनावी परिणामों से काफी गिरा है। क्योंकि साल 2017 के चुनाव में बदायूं में भाजपा की पांच सीटें निकली थीं। जबकि बीएल मंत्री बने और लगातार प्रचार में जुटे रहे, बावजूद इसके दो सीटों की क्षति भाजपा को हुई है।
खतरे में डीपी कैरियर
बाहुबली डीपी यादव का राजनैतिक कैरियर भी इस चुनाव में खतरे में आ गया है। भले ही डीपी पूर्व सांसद रहे हों और सहसवान सीट से अपने दल से साल 2007 में विधायक भी रहे हों लेकिन इस बार के परिणाम ने उनका कैरियर भी खतरे में लाकर खड़ा कर दिया है। क्योंकि डीपी के बेटे कुनाल यादव भी चुनाव हारे हैं।