Home धर्म वेद शास्त्रो को पढ़ने के बाद जो मर्म होता है उसे समय के सद्गुरु समझाते हैं:महात्मा जतिनानंद

वेद शास्त्रो को पढ़ने के बाद जो मर्म होता है उसे समय के सद्गुरु समझाते हैं:महात्मा जतिनानंद

बदायूँ .. मानव उत्थान सेवा समिति, जिला बदायूँ एवं सम्भल के तत्वाधान मे सदगुरु देव श्री सतपाल जी महाराज के पावन जन्मोत्सव के उपलक्ष्य मे दस दिवसीय सद्भावना सम्मेलन व सदभावना यात्रा का आयोजन किया गया।सद्भावना यात्रा का शुभारम्भ कलिक धाम मंदिर सम्भल से हुआ व समापन दातागंज रोड स्थित श्री हंस आश्रम पर हुआ। समापन के अवसर पर हरिद्वार से पधारे महात्मा जतिनानंद ने अपने ओजस्वी ज्ञान से ओतप्रोत विचार रखे। उन्होंने बताया कि संत आते हैं तो समाज को दिशा और दशा देते हैं। पीला पीतल भी होता है और सोना भी पर पहचान समय के सद्गुरु आकर सच्चे ज्ञान का बोध करते हैं,आत्मिक ज्ञान का बोध कराते हैं। शांति का खजाना तो मानव के ह्रदय के अंदर है।

मन मंदिर दिल द्वारिका काया काशी जान। दसवां द्वार देहरा तामे ज्योति पहचान।।
वेद शास्त्रो को पढ़ने के बाद जो मर्म होता है उसे समय के सद्गुरु समझाते हैं।

महात्मा कुंती बाई जी ने बताया कि जिस प्रकार हमें भौतिक विद्या को प्राप्त करने के लिए भौतिक जगत के शिक्षक के पास जाना होता है ठीक इसी प्रकार हमे आध्यात्मिक ज्ञान को जानने के लिये आध्यात्मिक गुरु के पास जाना होता है । सन्तों ने समझाया कि समाज मे प्रेम, शांति, भाईचारे को स्थापित करने के लिये मानव की सुसुप्त आत्मा को जगाना आवश्यक है, जिससे मानव का नैतिक, चरित्रिक व आत्मिक उत्थान हो जो समय के सदगुरु की शरण में जाकर ही सम्भव है। कार्यक्रम समापन के अवसर पर महात्मा श्री रामबलिया नन्द जी, श्री जतनानन्द जी, श्री चन्द्रभानानन्द जी, श्री कुन्ती बाई जी, श्री प्रभाती बाई जी एवं बहन पुष्पा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अन्त मे भण्डारे का वितरण किया गया। कार्यक्रम मे ओमप्रकाश गुप्ता, सुरेन्द्र चौहान, देवेश, नीरज, बुद्धपाल, कैलाश, पप्पू, कृष्णा सक्सेना, नेत्रपाल आदि का सहयोग रहा।

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